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पूछो मुझसे दोस्ती की कीमत। लोकेश शर्मा।

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"पूछो मुझसे दोस्ती की कीमत"

रिश्तों में सबसे ऊपर, दिल से दिल का रिश्ता है,
भगवान भी सब हार जाए, वो अनमोल तोहफ़ा है।
चमक जिसकी ख़राब ना हो, वो नायाब हीरा है,
ख़त्म होते से ना ख़त्म हो, वो जीवन का निशां है।

जिसके नहीं हैं दोस्त, पूछो उससे दोस्ती की कीमत,
होते क्या हैं दोस्त, हाँ पूछो मुझसे दोस्ती की कीमत।

दोस्ती जो ग़मों में भी मुस्कुराहट की ख़ान है,
तेरा सही-ग़लत सब जानकर भी तेरे साथ है।
वहीं है जिसमें ना कोई तोल और हिसाब है,
जिसे जब जरूरत पड़ी, उसपे खुलकर वार है।

जिसके नहीं हैं दोस्त, पूछो उससे दोस्ती की कीमत,
होते क्या हैं दोस्त, हाँ पूछो मुझसे दोस्ती की कीमत।

जीवन का पाठ पढ़ाए, हर मोड़ पर साथ निभाए,
तेरी हार सर पर उठाए, तेरी जीत पर ताली बजाए।
कभी जो हम टूटकर बिखरे, और अकेले रह जाए,
शाम हो, यारों की महफ़िल हो, और सब भूल जाए।

जिसके नहीं हैं दोस्त, पूछो उससे दोस्ती की कीमत,
होते क्या हैं दोस्त, हाँ पूछो मुझसे दोस्ती की कीमत।

देखो उसे जो यहाँ अकेला खड़ा है, बिखरा पड़ा है,
ख़ामोश निगाहों से जिसने अपना चेहरा बुझते देखा है।
जो आस लगाए बैठा है, अब यादों में जीता रहता है,
वो ख़ास लम्हों की याद है, हाँ दोस्तों की फ़रियाद है।

जिसके नहीं हैं दोस्त, पूछो उससे दोस्ती की कीमत,
होते क्या हैं दोस्त, हाँ पूछो मुझसे दोस्ती की कीमत।

हर राह को आसान कर दे है वो मौन सा समर्थन,
जिसके होने से ही मिल जाए जीवन को निर्धारण।
जिसके नहीं हैं दोस्त, पूछो उससे दोस्ती बिन जीवन,
होते क्या हैं दोस्त, हाँ पूछो मुझसे दोस्ती बिन जीवन।

जिसके नहीं हैं दोस्त, पूछो उससे दोस्ती की कीमत,
होते क्या हैं दोस्त, हाँ पूछो मुझसे दोस्ती की कीमत।

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