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Showing posts from April, 2019

पीयूष मिश्रा की कुछ कविताएं। पीयूष मिश्रा।

Includes :- One Night Stand... क्या नखरा है यार... कुछ इश्क किया कुछ काम किया। कौन किसको क्या पता... अरे, जाना कहां है...? °One Night Stand... खत्म हो चुकी है जान, रात ये करार की, वो देख रोशनी ने इल्तिज़ा ये बार बार की। जो रात थी तो बात थी, जो रात ही चली गयी, तो बात भी वो रात ही के साथ ही चली गयी। तलाश भी नही रही, सवेरे मकाम की, अंधेरे के निशान की, अंधेरे के गुमान की। याद है तो बस मुझे, वो होंठ की चुभन तेरी, याद है तो बस मुझे, वो सांस की छुअन तेरी। वो सिसकियों के दौर की महक ये बची हुई, वो और, और, और की, देहक ये बची हुई। ये ठीक ही हुआ

वो तुम नही थी। लोकेश शर्मा।

वो लड़की मुझे दिखी, जो किसी से बात कर रही थी। वो ही काला टॉप और, हल्के ग्रे कलर की जीन्स पहनी थी। बाल थे उसके खुले खुले, मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थी। फिर बात खत्म कर वो, उस जगह से आगे चल पड़ी थी। काला छोटा बैग लटका था, और चलने की स्टाइल भी वही थी। ---1--- मैं भी दौड़ने लगा उसके पीछे, मिलूंगा आज उस से, खुशी बड़ी थी। मेरी उत्साहित ज़बान ने उसे, दौड़ते-दौड़ते पीछे आवाज भी दी थी। सुना नही होगा शायद उसने, वो आवाज सुन पीछे नही मुड़ी थी। मैंने हाथ उसका फिर पकड़ा, रोका उसे, वो मेरे सामने खड़ी थी। मैं चेहरा देख चौक गया था, जिसे तुम था समझा, वो तुम नही थी। ---2--- उसने देखा मुझे और फिर, 'क्या हुआ बोलिए' वो सवाल पूछी थी। कोई और समझ लिया आपको, माफ करना मुझे, जो गलती हुई थी। ये कहकर बस देखता रहा, सब कुछ वैसा ही, पर वो तुम नही थी। मिलना था तुमसे दुबारा, ये ख्वाइश न जाने क्यूँ अधूरी थी। फिर मन ही मन में रोता रहा, आखिर क्यों वो जो थी, वो तुम नही थी। 😔😔😔 ---3--- ~लोकेश शर्मा। Thank you Ram Kumar Prajapati, Vandana Sharm