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Showing posts from March, 2021

इतने क्यूँ अंजान बन रहे हों। लोकेश शर्मा।

इतने क्यूँ अंजान बन रहे हों,  चाहत ही तो हैं, दिखा दो । हम तो याद करते ही हैं,  तुम भी याद करते हो, बता दो । यूँ तो आँखों से इशारे भी,  करते हैं बहुत कुछ बयां । लेकिन कुछ बातों के लिए तो, लफ्ज़ो को होंठों पे  भी  सजा लो।  ~लोकेश शर्मा।