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न जाने क्यों तुमने इसे प्यार करने की ख़्वाहिश की है।। लोकेश शर्मा।

ये दिल शीशे की तरह टूट कर बिखरा हुआ था


ये दिल शीशे की तरह
टूट कर बिखरा हुआ था, 
न जाने क्यों तुमने इसे
समेटने की कोशिश की है।


एक एक टूकड़े को
हाथों से उठाकर चोट खाई, 
न जाने क्यों तुमने इसे
जोड़ने की एहतिमाम की है।


इसमें अब पहले जैसी
धड़कन नहीं होगी कभी,
न जाने क्यों तुमने इसे
धड़काने की गुज़ारिश की है।


ये जो धड़क भी जाये
तो प्यार ना होगा इससे,
न जाने क्यों तुमने इसे
प्यार करने की ख़्वाहिश की है।


~ लोकेश शर्मा।

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