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लो चले हम अपने घर...। लोकेश शर्मा।

 
Lo-chale-hum-apne-ghar

लो चले हम अपने घर,
लेके हाथ मे बस्ता भर...

यादों की एक महफिल हैं,
खट्टे मीठे जिसमें पल हैं...
और है थोड़ा दुःख जाने का 
है थोड़ा सुख घर आने का...

ये दोस्ती, समझ, दुनियादारी,
ये जो कुछ सीखे सबक भारी...
बांध के सबको गांठ लगा कर,
बस्ते के पोटली साथ लगा कर...

लो चले हम अपने घर,
लेके हाथ मे बस्ता भर...

यहां से तो फिलहाल चल देंगे,
ना जाने घर कितना रुक लेंगे...
जीवन की चुनौती फिर आनी है,
पल मे ही घर से फिर रवानी है...

किसका साथ आगे होना है,
किसका साथ पीछे छूटना है...
फिर मिले ना मिले कौन जाने,
मिलने की फिर भी आस माने...

लो चले हम अपने घर,
लेके हाथ मे बस्ता भर...

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