सर्द रात है नशीला समा,
जाना कहाँ है सब
है पता...
ना जाने तो
इन्तेज़ार कैसा?
तुम समझ चुके हो और,
हम समझ चुके है जिसको...
उस पर अब सवाल कैसा?
आज ना रोको खुदको मुझको
अगर होता है तो हो
जाने दो...
खामखा दिल पर आड़
कैसा?
ज़माने से अलग हैं
हम,
हमें दुनिया से
वास्ता नही...
बेमतलब फिर बवाल
कैसा?
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