मैं डूबा था सोच में
ना जाने कब से,
क्या कुछ और मांगू
अब अपने रब से?
ये रंग बिरंगी शाम है
ये टिमटिमाते तारे,
क्यूँ ना जाने फिर भी
लगते है फिके सारे?
दीपक रोशन जलाऊँ
या चांद को बुलाऊँ,
किस तरह आज शाम
महफ़िल को सजाऊँ?
ये दिन जो आज है
मेरे बहुत ही खास है,
कैसे शुक्रिया करू कि
आप मेरे पास है?
तोहफा दिल दे दूँ,
खुशियो का दामन भरूँ,
आपका जन्मदिन है
क्या कुछ मैं करूँ?
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