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बारिश आई है, भीग जाने दे। लोकेश शर्मा।

बारिश आई हैभीग जाने दे।
आज खुद को तू भीग जाने दे।

भाग भाग के सारे दिन काटे है,
जाग जाग कर रोज़ राते काटी,
हर वक़्त दिमाग के घोड़े भागे है,
पीछे कहीं रह न जाऊं मैं बाकी,
इस बारिश में इन्हें रुक जाने दे,
कुछ खुद को तू आराम पाने दे।

बारिश आई है, भीग जाने दे।
आज खुद को तू भीग जाने दे।

सब मे तू पर सब से दूर यहाँ,
बहुत कुछ दिल मे छिपाता है,
बाहर मुस्कुराता तेरा चेहरा यहाँ,
दिल को अकेले क्यूँ रुलाता है,
कैद है जो तेरे दिल में कब से,
दरिया उसे बाहर बह जाने दे।

बारिश आई है, भीग जाने दे।
आज खुद को तू भीग जाने दे।

खाना रहना पहनना मिला है,
ये सब भी कुछ कम थोड़े है,
बाकी दुनिया के झूठे तौर-तरीके,
ये तेरे सुकून से बढ़कर थोड़े है,
और भी बहुत कुछ मिल जाएगा,
पर आज मन को सुकून पाने दे।

बारिश आई है, भीग जाने दे।
आज खुद को तू भीग जाने दे।

हर कदम सोचा समझा है तूने,
न जाने कब से जीना छोड़ा है,
आज का ये पल फिर हो नही,
आज क्यूँ फिर बोझा ढोया है,
न आज हो कल की फिक्र तुझे,
आज ये पल को महक जाने दे।

बारिश आई है, भीग जाने दे।
आज खुद को तू भीग जाने दे।

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