जो किसी से बात कर रही थी।
वो ही काला टॉप और,
हल्के ग्रे कलर की जीन्स पहनी थी।
बाल थे उसके खुले खुले,
मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थी।
फिर बात खत्म कर वो,
उस जगह से आगे चल पड़ी थी।
काला छोटा बैग लटका था,
और चलने की स्टाइल भी वही थी।
---1---
मैं भी दौड़ने लगा उसके पीछे,
मिलूंगा आज उस से, खुशी बड़ी थी।
मेरी उत्साहित ज़बान ने उसे,
दौड़ते-दौड़ते पीछे आवाज भी दी थी।
सुना नही होगा शायद उसने,
वो आवाज सुन पीछे नही मुड़ी थी।
मैंने हाथ उसका फिर पकड़ा,
रोका उसे, वो मेरे सामने खड़ी थी।
मैं चेहरा देख चौक गया था,
जिसे तुम था समझा, वो तुम नही थी।
---2---
उसने देखा मुझे और फिर,
'क्या हुआ बोलिए' वो सवाल पूछी थी।
कोई और समझ लिया आपको,
माफ करना मुझे, जो गलती हुई थी।
ये कहकर बस देखता रहा,
सब कुछ वैसा ही, पर वो तुम नही थी।
मिलना था तुमसे दुबारा,
ये ख्वाइश न जाने क्यूँ अधूरी थी।
फिर मन ही मन में रोता रहा,
आखिर क्यों वो जो थी, वो तुम नही थी।
😔😔😔
---3---
Thank you Ram Kumar Prajapati, Vandana Sharma and Sudhir Chouhan. I appreciate the time you spent on it. I always welcome bright ideas from interested people like you and hope that you continue to share these ideas with me.
हुनर बढता जा रहा है
ReplyDeleteJi Dhanyawaad.
DeleteEk number bhai
ReplyDeleteThank you brother.
Delete