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कामयाबी सस्ती है, पर बाजार में नही बिकती। रवि भाटी।


किताबो का बोझ बचपन, जवानी खा गया,
कुछ करके दिखाना है, जल्द समझ में आ गया।
जागते-जागते नींद से नाता टूट गया,
बस 5 मिनट और सो लूये बहाना भी मुझसे रूठ गया।
नींद अच्छी है पर आँखों में नही ढलती,
कामयाबी सस्ती हैपर बाजार में नही बिकती।

रोज शाम मेरा दोस्त मेरे घर के बाहर आता,
रवि रवि चिल्लाकरजोर से Horn बजाता।
मेरे मन का लालची लड़का उसके साथ जाना चाहता,
किताबो का खौफ रह-रहकर उसे सताता।
दोस्त हाराखौफ जीता सब कुछ बदल गया था,
कामयाबी का मुश्किल रस्ताक्या वही से शुरू हुआ था?
अब मेरे दोस्त को देखकर वो मुस्कान नही खिलती,
कामयाबी सस्ती हैपर बाजार में नही बिकती।

मस्ती करनाघूमना फिरनाइधर-उधर की बाते,
सपने थे सुहाने सारेकिताबे थी दिन और राते।
घर की गरीबी ने लक्ष्य को और स्पष्ट दिखलाया,
Crush की आँखों से ज्यादाभविष्य मुझे उझलाया।
मन मसोस कर जब मैंने इन सबको पीछे छोड़ा,
तब जाकर कामयाबी ने थोड़ा सा रिश्ता जोड़ा।
सारे आमोद-प्रमोद त्यागेथी दुनिया मुझ पर हँसती,
कामयाबी सस्ती हैपर बाजार में नही बिकती।

मन होता था कह दूँ, अब मुझसे न हो पाएगा,
पर सामने था एक सपना कि "मेरा बेटा कुछ करके दिखाएगा"।
पिता का सपनामाता की उम्मीद को पूरा करके दिखाया,
अब बस ये सोचता हुँ इतना खोकर क्या पाया।

खुशियों को Dr. करके मुकम्मल ख्वाबो को Cr. किया,
कुछ इस तरह से Life की Balance Sheet को Tally किया।
कामयाबी का ताज पहनकरगर्व कर रहा खुद पर,
लेकिन क्या नुकसान हो गयासोच रहा मुड़-मुड़कर।
5 Figure की Salary कामयाबी की Report Card दिखाती है,
मस्ती मजे न कर सका ये बात मन में पछताती है।

मिल गयी मुझे कामयाबीक्या कीमत मैंने चुकायी,
कामयाबी बस इतनी ही सस्ती हैपर बाजार में नही बिकती भाई।


~रवि भाटी।
https://lhsharma.blogspot.com/p/ravi-bhati.html

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