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मेरा बचपन। ABHYUTKARSH। उत्कर्ष जैन।

मेरा बचपन था कुछ ऐसा
जो चला गया एकदम सहसा

सुबह-सुबह मम्मी का उठाना
फिर दीदी के साथ स्कूल जाना

एक दिन उसका एक दिन मेरा
टिफ़िन उठाते हम हर सवेरा

बीच की छुट्टि का होना
हम सब का बाहर खेलना

कक्षा में मंदिर का बिठाना
सब के साथ पूजा करना

स्कूल के बाद घर पर आना
पूर्वी, छोटू के साथ खेलना

ऊंची-नीची, बर्फ़-पानी
जिनका नहीं कोई सानी

घर बदला, जगह बदली
गली बदली, जिंदगी बदली

अकेले हुए मन न लगा
टीवी देख मन लगा

बचपन तो ख़त्म हो गया
पर बहुत यादें दे गया

बचपन तू फिर से आजा
जल्दी से मुझमें समाजा


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