बातो ही बातो में कभी कभी,
उन बातो की याद आ जाती है,
जिन बातो को खुद से न कभी,
याद करने की बात होती है।
जिन बातो को खुद से न कभी,
याद करने की बात होती है।
शब्दो ही शब्दो में दबी दबी,
दिल की आह बन आ जाती है,,
कविताओं के शब्दो में दबी,
फिर एक पहचान बनी होती है।
दिल की आह बन आ जाती है,,
कविताओं के शब्दो में दबी,
फिर एक पहचान बनी होती है।
कुछ न कुछ बहुत कमी कमी,
मुझसे जब ये भी दूर हो जाती है,
मुझसे जब ये भी दूर हो जाती है,
खलती है मुझे जिसकी कमी,
उसकी उसमे याद बसी होती है।
उसकी उसमे याद बसी होती है।
Best poetry, great !!
ReplyDeleteThank you 😊
Delete👍
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ReplyDeleteDeep ❤
ReplyDeleteThank you 😊
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