पल पल उस पल की याद दिलाता है,
जिस पल एक
दूसरे को पल भर देखा था।
कल कल रोज़ एक
कल समय दिखलाता है,
न वो कल आता
न वो आता दिखता था।
इस क्या ने
भी क्या क्या करवाया था।
टप टप टपकना
अब दिल को रुलाता है,
बारिश का
टपकना तब अच्छा लगता था।
हँस हँस कर
अब तो गम छुपाना होता है,
खुल कर हँसना
तब जीवन मे होता था।
जब जब सोचता
वो सामने आ जाता है,
तब सामने
होकर भी सामना न होता था।
डर डर के दिल वो डर खत्म करना चाहता है,
जिस डर से इस जीवन ने तुम्हे खोया था।
पल पल अब
उस पल को जीना चाहता है,
जिस पल एक
दूसरे को पल भर देखा था।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 21 मार्च 2020 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जी धन्यवाद आपका... मैं भी जरुर आऊँगा...
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