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कॉलेज के बाद कुछ शब्द। लोकेश शर्मा।

सामने न होकर भी,
सामने नज़र आयेंगे |
आज जा रहे है कॉलेज से,
कल यादो में मिलने आयेंगे |
कैसे भूल सकते है,
इन प्यारे 4 सालो को,
मुझे तो ये हमेशा याद आयेंगे ||


जाते जाते 2 लाइन उनके लिए जो कुछ खास है, मेरे लिए।

Manish Goyal

खबरों में रहता जिसका काम,
DATTA है उसका नाम।

Satyam Jain

सुर्खियों में रहती सत्यम की पढ़ाई,
और उसके होटल की कमाई।

Atul Dada

अतुल की वो ग़जब बातें,
5 मिनट में GT पहुँच जाते।

Ashok Choudhary

एक वार्डन अशोक सर,
तो एक हमारे अशोक सर।

Vikas Jain

विकास का था खौफ,
नही उलझता उससे कोई बेखौफ।

Shubham Jain

शुभम को भगवान ने बनाया कुछ और,
हमने बना दिया कुछ और।

Shivang Sharma

खड़ा कर दे कही भी तमाशा,
कुछ ऐसी है शिवांग की भाषा।

Hardeep Singh

जानकारी कूपन की रखता ताजी,
दिल से है बहुत अच्छा पाजी।

Ãíšh Mayank Mathur

Momos, fast foods का चाटक
मयंक का है कुछ अलग ही नाटक।

Himanshu Acharya

हर बार ACHARYA की अलग बोली,
न जाने कितनी बार मामियां खोली।

Naveen Sharma

सिर्फ पैसो की खेलता है घोची,
वसूली है हमारा ताऊ जी।

Aditya Keshari

इतना दूर आया है घर से,
डिप्लोमा कुछ तो सीख हमसे।

Jayesh Garg

करता रहता है मुझको मेंशन,
जयेश क्यों देता है लोगो को टेंशन।।

LHS

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मैं वहीं पर खड़ा तुमको मिल जाऊँगा। डा. विष्णु सक्सेना।

मैं वहीं पर खड़ा तुमको मिल जाऊँगा जिस जगह जाओगे तुम मुझे छोड़ कर। अश्क पी लूँगा और ग़म उठा लूँगा मैं सारी यादों को सो जाऊंगा ओढ़ कर ।। जब भी बारिश की बूंदें भिगोयें तुम्हें सोच लेना की मैं रो रहा हूँ कहीं। जब भी हो जाओ बेचैन ये मानना खोल कर आँख में सो रहा हूँ कहीं। टूट कर कोई केसे बिखरता यहाँ देख लेना कोई आइना तोड़ कर। मैं वहीं पर खड़ा तुमको....... रास्ते मे कोई तुमको पत्थर मिले पूछना कैसे जिन्दा रहे आज तक। वो कहेगा ज़माने ने दी ठोकरें जाने कितने ही ताने सहे आज तक। भूल पाता नहीं उम्रभर दर्द जब कोई जाता है अपनो से मुंह मोड़ कर। मैं वहीं पर खड़ा तुमको...... मैं तो जब जब नदी के किनारे गया मेरा लहरों ने तन तर बतर कर दिया। पार हो जाऊँगा पूरी उम्मीद थी उठती लहरों ने पर मन में डर भर दिया। रेत पर बेठ कर जो बनाया था घर आ गया हूँ उसे आज फिर तोड़ कर। मैं वहीं पर खड़ा तुमको....... ~ डा. विष्णु सक्सेना ।

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धीरे धीरे समय निकलता जा रहा है, हाथ से रेत की तरह फिसलता जा रहा है, कोई न कोई याद बनाते जा रहा हूँ लिख-लिखकर इन्हें सजाते जा रहा हूँ। यादो का भी नाटक हो रहा है, कुछ यादें याद करके दुख हो रहा है, तो