बातो ही बातो में कभी कभी, उन बातो की याद आ जाती है, जिन बातो को खुद से न कभी, याद करने की बात होती है। शब्दो ही शब्दो में दबी दबी, दिल की आह बन आ जाती है,, कविताओं के शब्दो में दबी, फिर एक पहचान बनी होती है। कुछ न कुछ बहुत कमी कमी, मुझसे जब ये भी दूर हो जाती है, खलती है मुझे जिसकी कमी, उसकी उसमे याद बसी होती है। ~लोकेश शर्मा। LHS
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