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अब भी बाकी हैं। हिंदी कविता। लोकेश शर्मा।

समय बीत गया काफी,
यादें कुछ धुंधली हुई हैं,
पर ठीक ठीक मुझमें अब भी,
काफी कुछ याद बाकी हैं।

एक एक पन्ना लिखते,
एक कहानी पूरी हुई हैं,
पर लिखना है बहुत अब भी,
यह किताब पूरी बाकी हैं।

कब, कहाँ और कैसे मिले,
सिर्फ प्यार की बात हुई हैं,
यादों की इस किताब में अब भी,
जुदाई की बात बाकी हैं।

चले जाने के तुम्हारे बाद,
कब सुबह की शाम हुई हैं,
कैसे संभाला मैने अब भी,
ये बात बताना बाकी हैं।

कौनसी मुश्किल में किसकी,
जरूरत कब महसूस हुई हैं,
साथ कब निभाया और अब भी,
कब छोड़ दिया बाकी हैं।

यादों की एक कहानी,
एक हिस्से की बात हुई हैं,
पर लिखने को मुझमे अब भी,
काफी कुछ याद बाकी हैं।



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