हाँ मेरी कुछ बाते है ऐसी, जो शायद तुम्हे अच्छी न लगे। पर आज न कह सका, तो न कह सकूँगा फिर कभी। तुम जा तो रही हो छोड़कर, रोकूंगा नही तुम्हें अब। पर वादा है मेरा तुमसे, अब न मिलूंगा तुम्हें फिर कभी। चाहे दुख में ही दिन गुजरे, या फिर रो कर कटे रात। न होगा तुम्हारा इंतज़ार, न करूँगा अभिनंदन फिर कभी। जब कभी अकेला लगेगा, तब याद जरूर आएगी। पर साथ देने तुम्हारे, अब न आऊँगा मैं फिर कभी। ~लोकेश शर्मा।
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