Skip to main content

Posts

Showing posts from May, 2024

न जाने क्यों तुमने इसे प्यार करने की ख़्वाहिश की है।। लोकेश शर्मा।

ये दिल शीशे की तरह टूट कर बिखरा हुआ था,  न जाने क्यों तुमने इसे समेटने की कोशिश की है। एक एक टूकड़े को हाथों से उठाकर चोट खाई,  न जाने क्यों तुमने इसे जोड़ने की एहतिमाम की है। इसमें अब पहले जैसी धड़कन नहीं होगी कभी, न जाने क्यों तुमने इसे धड़काने की गुज़ारिश की है। ये जो धड़क भी जाये तो प्यार ना होगा इससे, न जाने क्यों तुमने इसे प्यार करने की ख़्वाहिश की है। ~ लोकेश शर्मा।