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Showing posts from January, 2018

CHAPTER-1 । प्रताप नगर की मकर संक्रांति ।

ध्यान दें ~ यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है तथा इसका किसी भी व्यक्ति , जगह से कोई संबंध नही है। 😜 CHAPTER-1   प्रताप नगर की मकरसंक्रांति। शाम का समय था। मै , सत्यम , शुभम , और विकास पहुच गए घर की छत पर। 3 साल लगातार कॉलेज होस्टल में रहने के बाद अब हम कॉलेज के आखिरी साल प्रताप नगर जयपुर में एक किराये के घर में रहते थे। मकर संक्रांति का दिन था तो सभी लोग उस दिन अपने अपने घरों की छत पर थे और पतंग - बाज़ी का आनंद ले रहे थे। पूरा आसमान पतंगों से भरा हुआ था , बहुत से लोग छत पर स्पीकर लगा कर गाने भी बजा रहे थे। हम भी पतंग लेकर आये थे और शुभम में आत्मविश्वास तो इतना था कि एक ही पतंग खरीद कर लाया था। शुभम ने बोला था एक ही बहुत है, मेरे लिए सबकी पतंग इस एक से ही काट दूंगा और जब अपनी पतंग कट जाएगी तो   इसके बाद उस दिन पतंग नही उड़ाऊंगा। उसे अपने मांझे पर और खुद पर बहुत भरोसा था। फिर पतंग उड़ाना शुरू किया , एक एक करके श...