दर दर भटकता रहा, उस एक शख्स की तलाश में... सुकून बैचैन दिल को, मिल सके जिस की आगोश में... जो टूट कर वफ़ा करे, जो सिर्फ मेरी ही दुआ करे... तन्हा खामोश मुझे पाए, तो मेरी ख़ामोशी पढ़ सके... वैसे तो कई लोग मिले, कईयों ने बदला रास्ता मेरा... न मिल सका तो एक वो, जो शख्स हो मुझसे ज्यादा मेरा... हर किसी ने छोड़ा मुझे, अपनी जरुरत पूरी होने के बाद... मुझे वो शख्स चाहिए, जो मेरा रहे मेरा होने के बाद... जिसे डर हो मुझे खोने का, एहसास हो मुझे उसके होने का... उस शख्स की तलाश में, जिसे घमंड हो मेरे साथ होने का... अब तलाश हुई है पूरी, एक तुम्हारे आ जाने से मेरी... पाकर तुम्हे ऐसा लगा, तुम दिल की जरुरत हो मेरी... दर दर भटकता रहा, बस एक तुम्हारी ही तलाश में... सुकून बैचैन दिल को, मिला बस तुम्हारी ही आगोश में... ~लोकेश शर्मा।
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