इतने क्यूँ अंजान बन रहे हों, चाहत ही तो हैं, दिखा दो । हम तो याद करते ही हैं, तुम भी याद करते हो, बता दो । यूँ तो आँखों से इशारे भी, करते हैं बहुत कुछ बयां । लेकिन कुछ बातों के लिए तो, लफ्ज़ो को होंठों पे भी सजा लो। ~लोकेश शर्मा।
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