अभी तुम को मेरी ज़रूरत नही बहोत चाहने वाले मिल जाएँगे अभी रूप का एक सागर हो तुम कमल जीतने चाहोगी खिल जाएँगे... दरपन तुम्हे जब डराने लगे जवानी भी दामन छुड़ाने लगे तब तुम मेरे पास आना प्रिय मेरा सर झुका है झुका ही रहेगा, तुम्हारे लिए... कोई शर्त होती नहीं प्यार में मगर प्यार शर्तों पे तुम ने किया नज़र में सितारे जो चमके ज़रा भुझाने लगी आरती का दिया जब अपनी नज़र में ही गिरने लगो अंधेरो में अपने ही घिरने लगो तब तुम मेरे पास आना प्रिय ये दीपक जला है जला ही रहेगा तुम्हारे लिए... कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे... तब तुम मेरे पास आना प्रिय मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा, तुम्हारे लिए...
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